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महाराष्ट्र में शुरू हुई कपास की खेती के लिए अनोखी मुहिम - दोगुनी होगी किसानों की आमदनी

महाराष्ट्र में शुरू हुई कपास की खेती के लिए अनोखी मुहिम - दोगुनी होगी किसानों की आमदनी

कपास की खेती से दोगुनी होगी किसानों की आमदनी - महाराष्ट्र में शुरू हुई कपास की खेती के लिए अनोखी मुहिम

मुम्बई। कपास की खेती किसानों के लिए सफेद सोना बन गई है। भले ही केन्द्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 6380 रु. तय किया है। जबकि महाराष्ट्र में किसानों को कॉटन का भाव 12000 रु. प्रति क्विंटल मिल रहा है। इसीलिए इस साल कपास की बुवाई पर किसान काफी जोर दे रहे हैं। कृषि विभाग भी चाहता है कि किसान ज्यादा से ज्यादा कपास की बुवाई करें, जिससे किसानों को फायदा मिले। और किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाए। कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन और किसानों की भागी से इस बार उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद जताई जा रही है। महाराष्ट्र के कई गांवों में कपास की एक ही किस्म लगाने और उत्पादन में इजाफा करने का प्लान बनाया गया है।

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कपास का रकबा बढाने के लिए पहल

- 'एक-गांव, एक-पहल' के तहत महाराष्ट्र के 63 गांवों में 6 हजार 225 हेक्टेयर में एक साथ कपास की बुवाई की जाएगी। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। यहां कपास का रकबा साल दर साल बढ़ रहा है। इस अभियान का मकसद तभी पूरा होगा, जब किसानों को फसल का पूरा दाम मिले। ये भी देखें: कपास की खेती की सम्पूर्ण जानकारी

ये ब्लॉक होंगे अभियान में शामिल

- 'एक गांव-एक किस्म' अभियान के तहत नगर तालुका में 9 गांव शामिल होंगे। इसमें 774 हेक्टेयर में कपास की खेती होगी। पथरडी तालुका में 13 गांवों को शामिल किया गया है। इनमें 1460 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल होगा। शेवगांव तालुका के 8 गांवों में 1 हजार 200 हेक्टेयर एरिया शामिल किया जाएगा। इस पहल के जरिए रकबा तो बढ़ेगा ही साथ में उत्पादन में भी इजाफा होगा. जिससे किसानों की आय बढ़ेगी। ------ लोकेन्द्र नरवार
कपास पर प्रति क्विंटल १२००० रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे किसान, उत्पादन में कमी से अंतर्राष्टीय बाजार भी चिंतिंत

कपास पर प्रति क्विंटल १२००० रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहे किसान, उत्पादन में कमी से अंतर्राष्टीय बाजार भी चिंतिंत

किसान कपास (cotton) की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ोत्तरी को लेकर मांग कर रहे हैं, जिसके लिए किसान २९ -३१ अक्टूबर इसके लिए विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्यों में कपास उत्पादन करने वाले किसान चालू सीजन के चलते ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में १२००० रुपये की बढ़ोत्तरी की मांग सरकार के समक्ष रख रहे हैं। कपास किसान संगठन ने बताया है कि, मांगों के सम्बन्ध में २९ से ३१ अक्टूबर तक प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें राज्य में कपास की खेती करने वाले सभी किसान शम्मिलित होंगे। कपास किसानों का दावा है कि एक क्विंटल कपास उत्पादन के लिए ₹८००० प्रति क्विंटल खर्च होता है। इस साल असामान्य रहे मॉनसून के कारण कपास की फसल प्रभावित हुई है। इससे उन्हें अतिरिक्त श्रम और फसल की देखरेख के लिए अधिक व्यय सहन करना पड़ा है, हालांकि भारत की बात करें तो देश में इस बार कपास का रकबा ७ प्रतिशत अधिक है।


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सितंबर माह तक लगभग १२६ लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई संपन्न हो चुकी है, पिछले साल की समान अवधि में कपास का रकबा ११७ लाख हेक्टेयर था। मंडियों में कपास की आवक होने के साथ ही हाजिर बाजार में कपास के दामों में कमी दर्ज की गई है। पिछले एक सप्ताह में लगभग कपास का भाव ४ प्रतिशत से घटकर ₹४३००० प्रति गांठ तक पहुँच चुका था। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CIA) के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने बताया है कि १४ सालों की रिकॉर्ड कमी के उपरांत कपास फसल के क्षेत्र में इस साल १० प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। मॉनसून सक्रिय होने के कारण इस साल तेलंगाना के अतिरिक्त कई राज्यों में प्रति हेक्टेयर पैदावार में वृद्धि का अनुमान है। गुजरात में इस वर्ष ९१ लाख कपास की गांठ एवं महाराष्ट्र में ८४ लाख गांठ तैयार होने की सम्भावना है। वहीं मध्य प्रदेश में पिछले साल की अपेक्षा में इस साल २० लाख गांठ बढ़कर १९५ लाख गांठ तैयार होने की सम्भावना है। उत्तर भारत की बात करें तो पंजाब सहित अन्य प्रदेशों में रूई का उत्पादन ५० लाख गांठ के लगभग होगा।

कपास उत्पादन के सम्बन्ध में अंतरराष्ट्रीय बाजार भी चिंतित

रॉयटर ने एक रिपोर्ट के मुताबिक कहा है कि भारत इस बार कपास के निर्यात में कमी करेगा। नवीन सत्र में भारत निर्यात घटाकर ३५ लाख गांठ कर सकता है। इसकी प्रमुख वजह देश में कपास की खपत बढ़ने एवं उत्पादन में कमी होना है। अमेरिकी कृषि विभाग द्वारा कपास की कम पैदावार होने के सन्दर्भ चिंता जताते हुए कहा है कि कपास का आयात एवं निर्यात पिछले सालों की अपेक्षा में सबसे निचले पायदान पर आ गया है।
नहीं होगी कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी, केंद्र ने किया इंकार

नहीं होगी कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी, केंद्र ने किया इंकार

केंद्र ने कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी करने से साफ़ इंकार कर दिया है. वहीं किसानों के मुताबिक उपज के लिए दी जाने वाली कीमतें बढ़ी हुई लागतों की भरपाई नहीं कर पा रही हैं. इसके अलावा खराब क्वालिटी वाले बीज और कीट की वजह से फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इन सब के बीच केंद्र सकरार का कहना है कि वह भारत में कपास के होने वाले उत्पादन और इसकी मांग के मुताबिक इसपर मिलने वाली एमएसपी में बढ़ोतरी के बारे में विचार करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी कपास की घरेलू कीमतें एमएसपी से भी कहीं ज्यादा है. कीमतों में कमी आने पर एमएसपी का परिचालन शुरू किया जा सकता है. केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस वक्त यह जरूरी नहीं है कि एमएसपी के दाम को निर्धारित करने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं. साल 2022 से 2023 में खरीफ के सीजन के लिए एक मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी करीब 6 हजार 80 रूपये है. लेकिन इस बीच ज्यादातर किसानों का कहना है कि उन्हें उपज के लिए एमएसपी से बेहद कम कीमत मिली. इसके अलावा बीज से लेकर कीटनाशक और उर्वरकों जैसी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए यह बिलकुल भी पर्याप्त नहीं है.

कुछ ऐसी है किसानों की मांग

कपास किसान की मानें तो करीब चार सालों से कपास की खेती में कुछ ख़ास आय नहीं हुई, जिस वजह से उन्होंने करीब 60 फीसद जमीन पर कपास की खेती की ही नहीं. लेकिन इस वक्त कपास की उपज से किसान को करीब 8 हजार रुपये से भी ज्यादा की कमाई प्रति क्विंटल के हिसाब से हुई. देखा जाए तो यह कमाई एमएसपी से भी ज्यादा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 मार्च के महीने में किसानों को 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मिले थे, लेकिन कपास का उत्पादन बेहद कम था. बता दें ज्यादा लागत की वजह से एमएसपी को करीब 10 हजार रुपये तक प्रति क्विंटल के हिसाब से होना चाहिए. ये भी पढ़ें: कपास की बढ़ती कीमतों पर भी किसान को क्यों नहीं मिल पा रहा लाभ

इन राज्यों में है कुछ ऐसा हाल

कपास की फसल की कटाई पंजाब में चुकी है. पंजाब के किसानों को प्रति क्विंटल के हिसाब से 8 हजार दो सौ रूपये दिया जा रहा है, वहीं एक एकड़ के लिए केवल तीन क्विंटल ही उत्पान हो रहा है, जहां पर परेशान किसानों ने मुआवजे की मांग की है. बात महराष्ट्र की करें तो, यहां पर 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को बिक्री मिल रही है. जानकारी के लिए बता दें की पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी) के हमले की वजह से कपास का उत्पादन काफी कम हो रहा है जिस वजह से किसानों कपास के उचित एमएसपी को निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसानों ने कपास के आयात पर भी रोक लगाने की मांग की है.
धान की एमएसपी में वृद्धि से किसानों को होगा काफी फायदा

धान की एमएसपी में वृद्धि से किसानों को होगा काफी फायदा

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मार्केटिंग सीजन 2023-23 के लिए खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिक करने का निर्णय किया गया है। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी का कहना है, कि इस निर्णय का सबसे ज्यादा लाभ तेलंगाना के किसानों को होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इसके चलते आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 2023-24 मार्केटिंग सीजन हेतु खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) इजाफा करने पर मुहर लगा दी है। इस पर केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी का कहना है, कि सरकार के इस निर्णय से तेलंगाना के धान से लेकर मक्का, सूरजमुखी एवं कॉटन किसानों को काफी लाभ होगा।

तेलंगाना भारत का दूसरा सर्वोच्च धान उत्पादक राज्य है

तेलंगाना से आने वाले केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया केंद्र सरकार साल 2014 से निरंतर एमएसपी में वृद्धि कर रही है। तेलंगाना भारत का दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक राज्य है। अब धान के एमएसपी में बढ़वार होने का फायदा यहां के किसान भाइयों को मिलेगा। राज्य में उत्पादित की जाने वाली प्रमुख फसलों की एमएसपी में 2014 से 2023 के मध्य 60 से 80 फीसद तक की वृद्धि हुई है।

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इन फसलों के उत्पादकों को काफी लाभ है

जी. किशन रेड्डी ने बताया है, कि प्रदेश में मक्का, धान, सूरजमुखी और कपास की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बतादें, कि साल 2014 से अब तक सूरजमुखी के बीजों की एमएसपी में सर्वाधिक 80 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। साथ ही, कपास किसानों को लाभ पहुंचाने एवं तेलंगाना के हैंडलूम एवं टेक्सटाइल क्षेत्र को प्रोत्साहन देने में भी एमएसपी बढ़ाने का योगदान है। कपास की एमएसपी 2014 से अब तक 75 प्रतिशत तक बढ़ गई है। अन्नदाता मतलब कि कृषकों की आमदनी भी 2014 के पश्चात से बढ़ी है। तेलंगाना धान का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। साथ ही, मक्का का भी काफी उत्पादन करता है। इन दोनों फसलों की एमएसएपी में 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

इन फसलों की एमएसपी कितनी है

तेलंगाना में उत्पादित होने वाली प्रमुख फसलों में धान-सादा की एमएसपी 2014 में 1360 रुपये प्रति क्विंटल थी। वर्तमान में यह 61 प्रतिशत बढ़कर 2183 क्विंटल पर पहुँच गई है। साथ ही, धान-ग्रेड ए पूर्व में 1400 रुपये क्विंटल था, जो कि फिलहाल 2203 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। मतलब कि 57 प्रतिशत का इजाफा।

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इसी प्रकार मक्का की दर 1310 रुपये से 60 प्रतिशत बढ़कर 2090 रुपये क्विंटल, सनफ्लावर सीड की 3750 रुपये से 80 प्रतिशत बढ़कर 6760 रुपये क्विंटल, कॉटन (मीडियम स्टेपल) की 3750 रुपये से 77 प्रतिशत बढ़कर 6620 रुपये क्विंटल और कॉटन (लॉन्ग स्टेपल) की 4050 रुपये से 73 प्रतिशत बढ़कर 7020 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

किसानों को कितना लाभ मिलेगा

केंद्र सरकार का यह निर्णय आम बजट 2018-19 की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को फसलों की औसत लागत पर 50 प्रतिशत अधिक के समतुल्य करना था। तेलंगाना में उत्पादित होने वाली फसलों के साथ भी कुछ ऐसा हुआ है। प्रदेश में धान-सादा का औसत खर्चा 1455 रुपये क्विंटल है। वहीं, एमएसपी 50 प्रतिशत ज्यादा 2183 रुपये है। उधर मक्का की लागत 1394 रुपये है और एमएसपी 2090 रुपये क्विंटल, सनफ्लावर सीड की लागत 4505 रुपये है एवं एमएसपी 6760 रुपये एवं कॉटन (मीडियम स्टेपल) की लागत 4411 रुपये और एमएसपी 6620 रुपये क्विंटल है।